गिद्धभोज/Giddhbhoj - Gradias Store
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गिद्धभोज/Giddhbhoj

गिद्धभोज/Giddhbhoj

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Short Description:
by Ashfaq Ahmad (Author) Book: Giddhbhoj Paperback: 216 pages Publisher: Gradias Publishing House Language: Hindi ISBN-13: 978-81-943451-0-7

Product Description

  


   'गिद्धभोजकोई एक कहानी नहीं हैबल्कि पच्चीस कहानियों का संगम है। यह वे कहानियां हैं जो सीधे हमसे जुड़ी हैंहमारे आसपास मौजूद माहौल से जुड़ी हैं हमारी परेशानियोंहमारी जड़ विचारधाराओंहमारे भूत और हमारे भविष्य से जुड़ी हैं। हर कहानी हमें झकझोरती हैएक सीख देती हैयह हम पे निर्भर करता है कि हम इनसे क्या सीख पाते हैं।

   'गिद्धभोजदो सेक्शन में है पहले सेक्शन में जो कहानियां हैं वे मुख्य हैंजबकि दूसरे सेक्शन में जो कहानियां हैं यह वे कहानियां हैं जो मैंने कभी न कभी सोशल मीडिया पर लिखी हैं लेकिन आपको इधर-उधर किसी और के नाम से भी नाचती मिल सकती हैं। उन्हें इस संग्रह में इसलिये शामिल किया गया है ताकि उन्हें एक जायज पहचान मिल सके।

   मुख्य कहानियों में 'गिद्धभोजहै जो 'अन्नदाताके भारी भरकम मगर खोखले विशेषण से नवाजे गये एक ऐसे किसान की कहानी है जो भुखमरी के कगार पर है और अपना जीवन खत्म कर लेने पर उतारू है लेकिन किस्मत उसे एक मौका देती है जहां उसे एक मुश्किल चयन करना पड़ता है कि वह एक मसीहा बन जाये या एक साधारण इंसान और वो साधारण इंसान ही बनना मंजूर करता है। 'अपराधबोधएक ऐसे युवा की कहानी है जो सोशल मीडिया के भ्रामक प्रचार-प्रसार से भ्रमितदिशाहीन हो कर अपने भविष्य से खिलवाड़ करता एक हत्यारा बन जाता है लेकिन उसका अपराधबोध उसे कहीं भी चैन नहीं लेने देता।

   'सुर्खाबमुस्लिम मआशरे में मौजूद लैंगिक भेदभाव को दर्शाती एक ऐसी कहानी है जहां एक लड़की अपने हक और बराबरी के मौके पाने के लिये लगातार जूझते हुए अपना घर तक छोड़ने पर मजबूर हो जाती है। 'अधूरी आजादीइसी दौर के उस संघर्ष की कहानी है जहां पश्चिम की अंधाधुंध नकल के चक्कर में सामने दिखती पश्चिमी आजादी और अपने सेक्स प्रतिबंधित भारतीय समाज की वर्जनाओं के द्वंद्व में फंसी युवा पीढ़ी अपनी यौन कुंठाओं को तृप्त करने के पीछे छोटी-छोटी बच्चियों के शिकार से भी गुरेज नहीं कर रही।

   'बदकिरदारचरित्र से जुड़ी आकांक्षाओं और वर्जनाओं को ढोती हर उस औरत की दास्तान है जो अपने हिस्से का शायद एक पल भी अपनी इच्छा से नहीं जी पाती और यह चरित्र आधारित दमन उसे विद्रोह पर उकसा कर अंततः अपने मन की कर लेने पर मजबूर कर देता है। 'दो बूँद पानीलगातार कम होते पानी के पीछे होने वाले उस संघर्ष की कहानी है जहां एक वक्त ऐसा भी आता है कि पानी की एक बूंद भी बेशकीमती हो जाती है और हम सभी को अंत पंत यह नर्क भोगना ही है। 'गर्म गोश्त का शौकीनपैसे और पॉवर के गुरूर में सर से पांव तक डूबे उस शख्स की कहानी है जिसके लिये हर जनाना बदन बस एक 'योनिही हैइससे इतर कुछ नहीं।

   'मजहबी कुफ्रकिसी भेड़ समान व्यवहार करती प्रजाति के बीच से निकल पाने वाले ऐसे जीव की कल्पना है जो परंपरागत और रूढ़ियों में जकड़ी विचारधाराओं के बंधन से खुद को आजाद कर के इंसान बन पाता है। 'जंगल का आदमीहर उस मूल मानव की दास्तान है जो अपनी जमीन और जंगल को बचाने के लिये विकास के नाम पर खड़े हुए पूंजीवादी सिस्टम से टकरा रहा है। 'पगलीजाति और धर्म आधारित जड़ आस्थाओं के खिलाफ जाती एक ऐसी प्रेम कथा है जहां रूढ़ियों से जकड़ी मशीनें इंसानी रिश्तों की अहमियत समझने की जगह उसे खत्म कर देने पर उतारू हैं। 

   'जामुन की छाँवउस दौर की कथा है जहां बेशुमार बढ़ती आबादी की जरूरतों के मद्देनजर हरियाली की बलि लेते-लेते हम अपने इको सिस्टम को ही वेंटिलेटर पर पहुंचा देते हैं। 'आकर्षणकलर बायसनेस को ले कर रची एक कथा है जिसमें एक सांवली लड़की इस सामाजिक पूर्वाग्रह को खुद पर झेलते इस तरह बड़ी होती है कि अपनी ख्वाहिशें दर्शाने के लिये भी उसे दूसरों से ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। 'खामोश बगावतसंविधान प्रदत्त उस सुविधा का एक ऐसा पहलू हैजिसकी तरफ बहुत कम लोग देखते हैं कि कैसे ब्राह्मणवादी व्यवस्था के खिलाफ लड़ी जाने वाली लड़ाई खुद उसी विकार से संक्रमित हो रही है।

   'इद्दत एक व्यथाइस्लामिक मान्यताओं में से एक मान्यता के उस स्याह पहलू को दर्शाती है जहां एक औरत के लिये इम्तिहान ही इम्तिहान हैं तो मर्दों के लिये इसी मरहले पर एक रत्ती आजमाईश नहीं। यह अप्रासंगिक हो चुके रिवाजों को संशोधित करने के लिये की जाने वाली लड़ाई है जो औरत को अकेले लड़नी पड़ती है। 'गुमराहआज की उस युवा पीढ़ी के लिये एक आइना है जो अपनी आजाद जिंदगी और सुविधाभोगी प्रवृत्ति के चलतेनैतिक अनैतिक की बहस में पड़े बगैर हर कदम उठा लेने पर उतारू हैफिर चाहे वो कदम उसके भविष्य को बर्बाद कर देने वाला हो या उसे मौत के मुंह तक ले जाने वाला हो।


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